Sep 22, 2014

भारत की समस्या--शल्यराज का भूत

- शिशिरं कांत मिश्रा -


एक कहानी बड़ी पुरानी, नये रंग में, नये रूप में
बड़े बड़े करतब कर जाती,
छेद छेद कर छाती छिन छिन,
बढ़े क़दम पर रोक लगाती।
यदि पढ़ो महाभारत की गाथा
वीरों की रोमांच कहानी,
एक एक कर नष्ट हुए, कुछ नर्क गए कुछ स्वर्ग गए,
पर एक पुरुष का जीव आज भी तड़प तड़प सिर पटक रहा है
क्योंकि दग़ाबाज़ी की उसने और भूत बन भटक रहा है।
अपने ही सेना नायक का प्रतिपल तेजोवध करता था,
नकुल और सहदेव पांडवों का मामा वह शल्यराज था।
आज जब कि निर्माण पंथ पर, बड़े बड़े पग रख रख कर
आज़ादी का शिशु किलक किलक कर,
खाई खन्दक पाट रहा है,
तब भी जब बेसुरे राग में कोई अलापने लगता है,
कुछ नहीं हुआ, कुछ नहीं हुआ, तब मेरा मन कह उठता है,
इन पर मामा शल्यराज का भूत भयंकर है सवार,
मैं हाथ जोड़ और आँख मूँद कहता मामा जी नमस्कार।
तुम सदा फलो और फूलो, पर हम लोगों पर
कृपा करो और शत्रु दलों में झूलो


© Shishir K Mishra - Member WaaS

2 comments:

BASANT LAL SHARMA said...

शानदार कविता.बधाई हो!

BASANT LAL SHARMA said...

शानदार कविता. बधाई हो!